गोवर्धन पूजा | Goverdhan Pooja Hindi me

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है | गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण तथा प्रकृति को समर्पित है | दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा मनाई जाती है | हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है | इस ब्लॉग पोस्ट में हम गोवर्धन पूजा | Goverdhan Pooja Hindi me विस्तार से समझेंगे| गोवर्धन पूजा क्या है ? इसे क्यों मनाया जाता है ? मनाने की विधि क्या है ?

गोवर्धन पूजा क्या है ? Goverdhan Pooja kya hai?

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है | हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है | गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है

आज के दिन भी योगेश्वर श्रीकृष्ण ने पशुपालकों, कृषिको, तथा शिल्पीओ से इंद्र पूजा बंद करवाया था |योगेश्वर श्रीकृष्ण ने समझाया था कि पशुपालकों, कृषको तथा शिल्पीओ वास्तविक समृद्धि प्रकृति के संरक्षण करने से होगी | उस समय पर ब्रज क्षेत्र में प्रकृति का प्रारूप गोवर्धन पर्वत था | जिसकी तलहटी में उपजाऊ भूमि थी | वहां पर जैव विविधता से भरे जंगल और समृद्ध चारागाह थे | जिससे गायों को स्वस्थ चारा मिलता था | भगवान श्री कृष्ण ने मूल मंत्र दिया था की “प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन ही ना केवल मानव के लिए बल्कि समस्त जीवो के समृद्धि का मूल आधार है’

इस दिन गोवर्धन पूजा का उमंग मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना तथा नंद गांव में देखते बनता है| इस पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत तथा गोधन की पूजा की जाती है | साथ ही साथनई फसलों का भी पूजन किया जाता है जिसे अन्नकूट भी कहा जाता है?

गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है? Goverdhan Pooja ka importance kya hai?

सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है | गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण तथा प्रकृति को समर्पित है | गोवर्धन पूजा करने से अन्न, धन, संतान और गौरस की वृद्धि होती है | इस दिन गाय की पूजा कर हरा चारा और मिठाई खिलाने से आर्थिक संपन्नता आती है | गौ माता की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है |

गोवर्धन पूजा की प्रारंभ कब हुआ ?Goverdhan pooja ka prarambh kab hua ?

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों को इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए प्रेरित किया| क्योंकि उस समय गोवर्धन को पर्वत ब्रज वासियों के जीवनयापन का साधन था | इसी पर्वत से अन्न की प्राप्ति तथा गायों के लिए भरपूर चारा मिलता था | इससे इंद्रदेव नाराज होकर मूसलाधार बारिश करने लगे | तब भगवान श्रीकृष्ण अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रज वासियों का रक्षा किया था | उस समय से ही भगवान श्री कृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाए हुए रूप का पूजा किया जाता है | इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण तथा गोवर्धन पर्वत दोनों की पूजा एक साथ ही जाती है | साथ ही साथ समस्त गौ धन की भी पूजा की जाती है | गोवर्धन पूजा में अन्न और नई फसलों की भी पूजन किया जाता है, जिसे अन्नकूट कहा जाता है |

गोवर्धन पूजा कैसे करें ? Goverdhan Pooja Kaise kare ?

गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है | गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय किया जा सकता है | गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत तैयार किया जाता है | इसे लेटे पुरुष की आकृति में बनाया जाता है |आसपास प्रकृति का वातावरण तैयार किया जाता है| जैसे फूल पत्तियां पेड़ पौधे गाय बछड़े ग्वाल बाल इत्यादि की आकृतियां बनाई जाती है| इनके बीच में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है |

गोवर्धन पूजा पर्वत के नाभि में एक छोटा सा गड्ढा बनाकर दूध दही शहद गंगाजल तथा बतासे आदि डाला जाता है | फिर गोवर्धन पर्वत पर दीप नैवेद्य धूप चंदन पुष्प अर्पित किया जाता है | इसके बाद अन्नकूट तथा मिष्ठान का भोग लगाया जाता है| फिर गोवर्धन की व्रत कथा सुनकर आरती की जाती है| गोवर्धन पूजा के दिन गाय, बैल तथा अन्य पशुओं को स्नान कराकर उनकी पूजा फूल, माला, चंदन, धूप इत्यादि से किया जाता है| फिर उन्हें हरे चारे और मिष्ठान खिलाई जाती है|

अन्नकूट क्या है? Annakut kya hai? अन्नकूट का भोग कैसे बनाया जाता है ? Annakut ka bhog kaise banaya jata hai?

अन्नकूट अनेक तरह के अन्न तथा सब्जियों के संग्रह को कहा जाता है | इसमें 21, 51, 101 अथवा 108 प्रकार के सब्जियों को मिलाकर एक विशेष प्रकार का भोग तैयार किया जाता है| साथ ही साथ तरह-तरह के अन्न से तैयार पकवान तथा मिष्ठान से भी भोग तैयार किया जाता है | अन्नकूट बनाते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है| नहा धो कर पूरी साफ सफाई के साथ भोग बनाना चाहिए | पुराने मसाले का व्यवहार नहीं करना चाहिए|

वर्ष 2021 में गोवर्धन पूजा का मुहूर्त क्या है? 2021 me Goverdhan puja

2021 में गोवर्धन पूजा 5 नवंबर को मनाई जाएगी |

  • पहला मुहूर्त सुबह 6:36 a.m. से 8:45 a.m. तक
  • दूसरा मुहूर्त दोपहर 3:22 pm से 5:33 pm तक

गोवर्धन पूजा से जुड़ी अन्य मुख्य बातें

  • गोवर्धन पूजा के दिन मंदिरों में अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है |
  • कहीं कहीं बाजरे की खिचड़ी तथा तेल की पूरी बनाने की भी परंपरा है |
  • अन्नकूट के साथ दूध से बनी मिठाइयां तथा स्वादिष्ट पकवान का भी भोग लगाया जाता है |
  • मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को शंख में पंचामृत भरकर अर्पित करने से संतान की प्राप्ति होती है |

इस पोस्ट में हमने गोवर्धन पूजा | Goverdhan Pooja Hindi me अच्छी तरह से समझा है|

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