कार्तिक महीना एक हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है इस महीने में बहुत सारे पर्व त्यौहार आते हैं जिसे धूमधाम से मनाया जाता है| इसी महीने में एक महत्वपूर्ण पर्व गोपाष्टमी को मनाया जाता है ? आइए हम कि गोपाष्टमी पर्व क्या है ? Gopastami parva kya hi in hindi me समझते हैं?
कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है | गोपाष्टमी पर्व के दिन गाय तथा बछड़ों की पूजा की जाती है | इस दिन गायों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को प्रदर्शित किया जाता है | सनातन धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है| गाय का दूध, दही, छाछ , यहां तक कि गोमूत्र और गोबर भी मनुष्यों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है |
जैसे मां अपने बच्चों का पालन-पोषण और सुरक्षा करती है | उसी प्रकार गाय का दूध, दही इत्यादि भी मनुष्य का पालन-पोषण और स्वास्थ्य व सद्गुणों की सुरक्षा करते हैं | गाय की सेवा श्रद्धा और प्रेम पूर्वक करने से वर्षों के असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं | गाय का दूध हमें शक्ति, बल और सात्विक बुद्धि प्रदान करती है |
गोबर गोमूत्र कृषि कार्य के लिए पोषक होता है | साथ ही साथ ही के रोगाणु नाशक, विष नाशक और रक्तशोधक भी होता है | यहां तक कि मृत पशुओं से प्राप्त चर्म से चमड़ा उद्योग सहित अन्य हस्त उद्योग का विकास हुआ है | इनकी हड्डियों से भी खाद बनाई जाती है| इस प्रकार प्राचीन काल से लेकर आज के विज्ञान और कंप्यूटर के आधुनिक युग में भी गोवंश की महत्व यथावत बनी हुई है |
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क्या है गोपाष्टमी पर्व ?
गोपाष्टमी पर्व क्या है ? Gopastami parva kya hi in hindi me कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है | कहा जाता है कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक भगवान श्री कृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन उठाकर इंद्र के प्रकोप से ब्रज वासियों की रक्षा की थी | तभी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है | गोपाष्टमी पर्व के दिन गाय तथा बछड़ों की पूजा की जाती है| इस दिन गायों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता को प्रदर्शित किया जाता है |
इस पर्व का महत्व क्या है ?
हिंदू सनातन धर्म में गाय को देवी देवताओं की तरह पूजा जाता है | मान्यता है कि एक गाय के अंदर कई देवी-देवताओं का निवास होता है | अतः गाय की पूजा करना बेहद जरूरी होता है | गाय को अध्यात्मिक गतिविधियों का स्वामी कहा गया है | गोपाष्टमी के दिन जो व्यक्ति गाय की विधिवत पूजा करते हैं, उसे खुशहाल जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होती है तथा उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है |
गोपाष्टमी पर्व कब मनाया जाता है ? 2021 में गोपाष्टमी पर्व कब है ?
गोपाष्टमी का पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है| इस वर्ष 2021 में यह का पर्व 12 नवंबर 2021,शुक्रवार को मनाया जाएगा | इस पर्व के लिए शुभ मुहूर्त 12 नवंबर 2021, शुक्रवार सुबह 6: 49 बजे से शुरू होकर 13 नवंबर 2021, शनिवार सुबह 5:51 तक रहेगा |
गोपाष्टमी पर्व कैसे मनाया जाता है
इस पर्व के दिन प्रात काल उठकर क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करते हैं | इसके बाद गायों तथा बछड़ों को स्नान कराया जाता है | गौ माता तथा बछड़ों के अंग में मेहंदी, हल्दी, रोली के छापे आदि लगाकर सजाया जाता है| इसके बाद धूप दीप, अक्षत, रोली, मिष्ठान, गुड, फूल, फल, रोली तथा जल से इनकी पूजा की जाती है | और उनकी आरती उतारी जाती है | इनकी चरणदास माथे पर लगाई जाती है | इन्हें हरा चारा हरा, मटर और गुड़ खिलाया जाता है |
गायों को चारा आदि डालकर इनकी परिक्रमा किया जाता है| परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते है | ऐसा मानना है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने पर बड़ा ही पुण्य प्राप्त होता है| इस पर्व के दिन गाय को देखभाल करने वाले को ग्वालो को भी दान दिया जाता है | कई लोग इन्हें नए कपड़े देकर तिलक लगाते हैं| जब शाम को घर वापस लौटती है | तब फिर इनकी पूजा की जाती है| उन्हें हरा चारा तथा अच्छी भोजन दिया जाता है|
जिनके पास गाय नहीं होती है | वह लोग गौशाला जाकर गायों की पूजा करते हैं | उन्हें तिलक लगाते हैं और उन्हें हरा चारा और गुड़ खिलाते हैं | गौशाला में खाना तथा अन्य सामान का दान किया जाता है | ग्वालो को भी दान दिया जाता है तथा इन्हें तिलक लगाकर नए कपड़े दिए जाते हैं |
इस दिन पुरोहित या पुजारी की सहायता से गोपाष्टमी पर्व की विधिवत पूजा भी किया जाता है |
गोपाष्टमी पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाएं
इस गोपाष्टमी पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं है इनमें से कुछ का वर्णन निम्नलिखित है
अपने जीवन के छठे वर्ष में भगवान श्रीकृष्ण ने यशोदा मैया से जिद करने लगे कि अब वह बड़े हो गए | अब वे बछड़ों के साथ-साथ गायों को भी चराने जाएंगे | यशोदा मैया के लाख मना करने के बावजूद वे नहीं माने | अंततः यशोदा मैया को बाल हट के आगे हारना पड़ा | मैया ने उन्हें अपने पिता नंद बाबा से आज्ञा लेने के लिए भेजा | भगवान कृष्ण ने नंद बाबा से जिद करने लगे कि अब वह गाय चराने जाएंगे | नंद बाबा ने भगवान श्री कृष्ण को गाय चराने की आज्ञा प्रदान कर दी | यह दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी |
पहली बार पौराणिक कथा
यशोदा मैया ने अपने कान्हा को बहुत ही सुंदर तरीके से तैयार किया| मोर मुकुट लगाया, पैरों में घुंघरू और सुंदर सी पादुका पहनाया | परंतु कान्हा ने पादुका पहनने से मना कर दिया | उन्होंने मैया से कहा की अगर इन सभी गायों को भी पादुका बनाओगी तभी मैं यह पादुका पहन लूंगा | मैया यशोदा यह सुनकर भावुक हो जाती है और फिर कान्हा बिना पादुका पहने नंगे पैर अपनी गायों को चराने के लिए ले जाते हैं | इस गौचारण के कारण ही श्रीकृष्ण को गोपाला या गोविंद के नाम से जाना जाता है| इस प्रकार इस दिन से गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा|
दूसरी पौराणिक
भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों समझाया कि पशु पालकों कृषकों तथा शिल्पीओं की वास्तविक समृद्धि प्रकृति का संरक्षण करने से होगा| ब्रज क्षेत्र में प्रकृति की प्रारूप गोवर्धन पर्वत था | जिसकी तलहटी में उपजाऊ भूमि थे |वहां की जैव विविधता से भरे जंगल और समृद्ध चारागाह थे | जिससे गायों को स्वस्थ चारा मिलता था | श्री कृष्ण ने मूल मंत्र दिया था कि प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन से न केवल मानव जाति के लिए बल्कि समस्त जीवो के समृद्धि का मूल आधार है|
उन्होंने कहा कि इंद्र पूजा को बंद करके गोवर्धन का पूजा करें | इस पर इंद्र क्रोधित होकर ब्रज क्षेत्र में मूसलाधार बारिश करने लगे | इंद्र की इस प्रकोप से ब्रज वासियों को बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाए रखा|
गोपाष्टमी के दिन ही इंद्र ने अपनी हार स्वीकार की तथा भगवान श्री कृष्ण से माफी मांगी | इसके बाद भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत नीचे रखा | इस दौरान भगवान श्री कृष्ण ने ब्रज वासियों को गौ सेवा का महत्व बताया | उस दिन से गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा |
गौरक्षा का संकल्प
हम सभी भारतवंशी को इस गोपाष्टमी पर्व पर गौ रक्षा का संकल्प लेना चाहिए | हम सभी को गौ हत्या का विरोध करना चाहिए | किसानों को गाय, बछड़े, बैल इत्यादि को कसाई के हाथों नहीं बेचना चाहिए साथ ही साथ दूध ना देने वाली गाय अथवा बूढ़े बैल को भी उसी प्रकार सेवा करना चाहिए | क्योंकि वे जितना चारा खाते हैं, उतना गोबर और गोमूत्र से अपना खर्च निकाल देते हैं| हर व्यक्ति को गाय का दूध तथा इससे बने चीजों का उपयोग करना चाहिए| आयुर्वेद में दूध गाय के दूध को अमृत तुल्य माना गया है|
इस आर्टिकल में हमने यह जाना की गोपाष्टमी पर्व क्या है | Gopasthami Parva kya hai hindi me ? इसका महत्व क्या है? इसे कैसे मनाया जाता है ? इसके पीछे पौराणिक कथाएं क्या है |आशा करते हैं कि आपको गोपाष्टमी पर्व से संबंधित जानकारी मिली होगी |
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