देव दीपावली क्या है | Devdeewali/ Devdeepawali in Hindi

यह पर्व अर्थात देव दीपावली जिसे देवताओं की दीवाली भी कहा जाता है | देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा  अर्थात दीपावली के 15 दिनों के बाद मनाई जाती है| इस पर्व को वाराणसी में गहरी आस्था, भक्ति तथा उत्साह से मनाया जाता है| इसे देवताओं का इसे देवताओं का दीपावली कहते हैं|

देव दीपावली क्या है? दीपावली क्यों मनाया जाता है?  दीपावली  2021 में कब है? इन सभी प्रश्नों का उत्तर हम इस आर्टिकल में जानेंगे|

देव दीपावली क्या है ?

यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन वाराणसी तथा अयोध्या में मनाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है| इस दिन वाराणसी के घाटों का लाखों की संख्या में दिए जलाकर उत्सव मनाया जाता है | कहा जाता है कि इस दिन देवी देवता  पृथ्वी पर उतर आते हैं तथा गंगा स्नान करते हैं | इसलिए उनके सम्मान और स्वागत के लिए वाराणसी के सभी घाटों पर लाखों  दीपको से सुसज्जित कर दिया जाता है|  इस दिन लोग घरों में  तथा घर के बाहर दीप जलाकर मनोकामनाएं  पूर्ति की प्रार्थना करते हैं| 

देव दीपावली क्यों मनाया जाता है?

देव दीपावली के पीछे पौराणिक कथा 

भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने अपने पिता की सहायता से तीनों लोकों में आतंक मचाने वाले तारकासुर का वध किया था | तारकासुर के 3 पुत्र थे -तारकक्ष,   विद्युन माली  तथा कमलाक्ष | इन तीनों को सामूहिक रूप से त्रिपुरासुर कहा जाता था | तारकासुर के वध का प्रतिशोध लेने के लिए इन तीनों ने   घोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया तथा भगवान ब्रह्मा के प्रसन्न होने पर उन्होंने अमर होने के लिए वरदान मांगे | परंतु यह सृष्टि के  नियम के विरुद्ध होने के कारण भगवान ब्रह्मा ने कोई अन्य वर मांगने को कहा | 

फिर उन तीनों ने कहा कि आप हमारे लिए तीन पूरीयो का निर्माण कर दे | जब अभिजीत नक्षत्र में तीनों पूरियां एक पंक्ति में खड़ी  हो | तब कोई अत्यंत शांत अवस्था में असंभव रथ तथा असंभव तीर से मारे तब हमारी मृत्यु  हो | भगवान ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दे दिया तथा असुरों के शिल्पी माया द्वारा तीन पूरो का निर्माण करा दिया | वर मिलने के बाद तीनों ने समस्त लोको में बड़े पैमाने पर विनाश प्रारंभ कर दिया समस्त मानव जाति तथा देवी-देवता त्राहिमाम करने लगे |

तीनों लोकों में त्रिपुरासुर का राज हो गया | तब सभी देवी देवताओं ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुरासुर राक्षस से उद्धार करने के लिए विनती की | भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन अपने पाशुपत अस्त्र से तीनों पूरो के अभिजित नक्षत्र में एक साथ आने पर उनका विध्वंस किया तथा त्रिपुरासुर का अंत किया | इस प्रकार भगवान शिव त्रिपुरारी भी कहलाने लगे | 

तब से भूलोक के साथ-साथ देवलोक में भी सुख शांति और हर्ष उल्लास का वातावरण छा गया | भगवान शिव के द्वारा सृष्टि से आसुरी शक्तियों के विनाश तथा दैवी शक्तियों का विकास का उत्सव को  देव दिवाली कहा गया|

इसके अलावा यह कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था | 

इस पवित्र दिन  को ही  प्रथम सिख गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था|  इसलिए इस  दिन को नानक पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है तथा प्रकाश उत्सव मनाया जाता है

देव दीपावली 2021 में कब है ?

कार्तिक महीने की पूर्णिमा को देव दीपावली मनाया जाता है |  इस वर्ष  2021 में देव दीपावली  19 नवंबर को ब्रह्म मुहूर्त से लेकर 2:26 बजे तक मनाया जाएगा |

देव दीपावली कहां मनाया जाता है ?

ऐसा कहा जाता है कि देव दीपावली के दिन देवी-देवता देवतागण वाराणसी के घाटों पर पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के लिए अवतरित होते हैं | इसलिए  इस दिन वाराणसी के घाटों को मिट्टी के  दीपको से सजाया जाता है | यह दीप जलाने की परंपरा 1985 में  वाराणसी के पंचगंगा घाट से प्रारंभ किया गया था|

देव दीपावली के दिन दशमेश्वर  घाट पर पवित्र गंगा आरती 21 ब्राह्मण पुजारी हैं तथा 24 महिलाओं के द्वारा की जाती है|  इस मनोरम दृश्य को नयनाभिराम  करने के लिए लाखों की संख्या में भक्त और पर्यटक मौजूद  रहते हैं | लाखों  दीपको की रोशनी में वाराणसी के घाट जगमगा उठते हैं तथा  गंगा में तैरते हुए दिए दृश्य को मनमोहक और आकर्षक बना देते हैं |

देव दीपावली का महत्व (कार्तिक पूर्णिमा 2021 Kartik Purnima 2021   महत्व क्या है ?)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक तीन राक्षसों का एक साथ वध किया था | इस खुशी में तीनो लोक वासी दीप जलाकर खुशियां मनाई थी |  इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं | तब से यह परंपरा आज भी देव दिवाली के रूप में मनाई जाती है| यह पवित्र त्योहार वाराणसी में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है | इस दिन भक्तजन  पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं और शाम को अपने घरों में तथा घाटों पर दिया जलाते हैं तथा दीप जलाकर गंगा नदी में ही प्रवाहित करते हैं |

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