भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर: उलार्क अथवा उलार

उलार सूर्य मंदिर भारत के प्रसिद्ध 12 सूर्य मंदिरों में से तीसरे आर्क स्थल के रूप में जाना जाता है | इन 12 मंदिरों का का निर्माण द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब  के द्वारा कराया गया था| उलार्क सूर्य मंदिर अब उलार सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है | भाई इस आर्टिकल में भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर: उलार्क अथवा उलार के बारे में चर्चा करते हैं| जानते हैं कि यह मंदिर कहां है और क्यों प्रसिद्ध है?

उलार सूर्य मंदिर कहां है ?

भगवान भास्कर की प्राचीन और पवित्र नगरी उलार बिहार राज्य पटना जिले में स्थित है| पटना से 50 किलोमीटर दूर दुल्हिनबजार प्रखंड मुख्यालय से पांच किलोमीटर दक्षिण पाली की ओर एसएच 2 पर स्थित है।

उलार्क मंदिर के पीछे पौराणिक

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण तथा जामवंती के पुत्र साम्ब  बहुत ही सुंदर थे | उन्हें अपनी सुंदरता का घमंड भी था | उन्हें देखकर रानियां भी मोहित हो जाती थी |एक बार वह सरोवर में रानियों के साथ स्नान कर रहे थे | उसी समय नारद मुनि गुजरे| रानियों के साथ स्नान करने में व्यस्त होने के कारण उन्होंने नारद मुनि का अभिवादन नहीं किया | इससे नारद मुनि क्रोधित होकर श्री कृष्ण से शिकायत किया | श्री कृष्ण नारद नारद मुनि के कहने पर सरोवर जाकर वह दृश्य देखा | इस पर भगवान श्री कृष्ण कुपित होकर उन्होंने अपने पुत्र को कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया |

साम्ब  नारद मुनि से क्षमा याचना करने लगे | नारद मुनि द्रवित होकर श्री कृष्ण से क्षमा प्रदान करने की कहा | श्री कृष्ण ने कहा, इसके लिए सूर्य देव की उपासना करनी होगी | तब साम्ब ने सूर्य भगवान की कठोर तपस्या किया| प्रसन्न होकर सूर्य देव प्रकट हुए और उन्होंने 12 जगहों पर सूर्य मंदिर निर्माण कर पूजा करने को कहा | जिससे उनका कुष्ठ रोग दूर होगा |

भगवान सूर्य देव के पहन अनुसार साम्ब 12 स्थानों पर सूर्य देव की मंदिर की स्थापना किया | जिसमें 6 सूर्य मंदिर बिहार में तथा छह अन्य राज्यों में स्थित है:-

भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर

बिहार में स्थित सूर्य मंदिर :

  1. पालीगंज के सूर्य स्थली ओलार्क (उलार)
  2. औरंगाबाद के दे‌व में देवार्क
  3. औगारी में औंगार्क
  4. पण्डारक में पुण्यार्क
  5. सहरसा में मार्कण्डेयार्क
  6. बड़गांव में बालार्क

अन्य प्रदेशों का सूर्य मंदिर :

  1. उड़ीसा में कोनार्क
  2. काशी में लोलार्क
  3. चन्द्रभागा नदी के किनारे चानार्क
  4. उत्तराखंड में अलमोरा
  5. गुजरात में मोढ़ेरार्क 
  6. पाकिस्तान में आदित्यार्क

साम्ब ने उलार में सूर्य मंदिर के साथ-साथ वहां पर एक तालाब का भी निर्माण कराया | उस तालाब में वह सवा महीने तक स्नान कर सूर्य का उपासना किया था | जिससे वह कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए थे |

उलार सूर्य मंदिर का जीर्णोद्धार

इतिहासकारों के अनुसार मुगल काल में विदेशी आक्रमणकारी औरंगजेब द्वारा उलार मंदिर को काफी क्षति पहुंचाया गया था | कालांतर में भरतपुर नरेश के वंशजों के द्वारा इस द्वापर युगीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था | कहा जाता है, वर्षों तक भक्तगण जीर्णशीर्ण मंदिर के ऊपर लगे पीपल के पेड़ व भगवान सूर्य की प्रतिमा की पूजा करते रहे ।

वर्ष 1948 में परम हंस सन्त श्री श्री 108 सद्गुरु अलबेला बाबाजी महाराज उलार पहुंचे | उन्होंने पीपल के पेड़ की पूजा अर्चना की, जिसके प्रभाव से पीपल का पेड़ सूख गया। उसके बाद अलबेलाजी महाराज ने स्थानीय लोगों व भक्तों के सहयोग से इस स्थान पर सूर्य मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।  तब से इस पर आने का मंदिर में श्रद्धालुओं का वीर लगातार बढ़ती जा रही है | जीर्णोद्धार के क्रम में खुदाई के दौरान यहां पर शिव, पार्वती गणेश आदि देवताओं की दर्जनों विखंडित पाल कालीन दुर्लभ मूर्तियां प्राप्त हुई | यह मूर्तियां काले पत्थर (ब्लैक स्टोन) से निर्मित है |इन मूर्तियों को मंदिर के प्रांगण में रखा गया है तथा श्रद्धालु इनकी भी पूजा करते हैं |

उलार सूर्य मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?

द्वापर युग इन प्राचीन सूर्य मंदिर होने के कारण यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है | माना जाता है कि यहां पर छठ पर्व करने से हर तरह का दुख रोग दूर होता है तथा हर तरह के मनोकामनाएं पूर्ण होते हैं | खासकर चैती छठ तथा कार्तिकी छठ के मौके पर उलार सूर्य मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं| छठ पर्व के दौरान उलार सूर्य मंदिर को काफी अच्छी तरह से सजाया जाता है | इस दौरान यहां पर एक विशाल भव्य मेला का भी आयोजन किया जाता है | इसके अलावा पूरे वर्ष हर रविवार को यहां पर एक मेला लगता है और श्रद्धालु दूर-दूर से पूजा अर्चना के लिए आते हैं |

उलार मंदिर का महत्व क्या है ?

उलार सूर्य मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जोकि द्वापर युग से ही प्रसिद्ध है| छठ पर्व के दौरान यहां पर लाखों की संख्या में आकर सूर्य भगवान तथा छठी मैया को समर्पित छठ करते हैं| कहा जाता है कि यहां पर छठ पर करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है| पूरे साल हर रविवार हर रविवार श्रद्धालु यहां पर पूजा अर्चना के लिए आते हैं| हर रविवार को भव्य मेला भी लगता है | माना जाता है की इस मंदिर में जो भी मनोकामनाएं मांगी जाती है| वह पूर्ण होती है|

इस मंदिर में नेटुआ (एक विशेष जाति के लोग) नचाने की प्राचीन प्रथा अभी प्रचलित है | इस प्रथा में महिलाएं अपने आंचल को जमीन पर बिछा बिछा देती है | जिस पर नेटुआ नाचते हुए बाजा बजाते हैं | माना जाता है कि सूर्य देवता इससे प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं |

श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण होने के बाद भी मन्नते उतारने आते हैं | जैसे संतान की कामना पूरी होने के बाद अपने बच्चों का मुंडन कराते हैं | महिलाएं अपने आंचल पर नेटुआ का नचवाते हैं एवं यथा शक्ति दान पुण्य भी करते हैं |

इस प्रकार हमने भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर: उलार्क अथवा उलार के बारे में जानकारी प्राप्त किया | हम आगे के आर्टिकल में और अन्य मंदिरों के बारे में जानेंगे |

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