“उपेक्षिता”-हिंदी कहानी | Story in Hindi

उपेक्षिता

रामस्वरूप अपने इलाके के प्रसिद्ध और गरीब परवर डॉक्टर थे | उनका लड़का विमल भी एक मेधावी एमबीबीएस डॉक्टर था | उनकी शादी विभासिनि के साथ बड़ी ही धूमधाम के साथ हुई| विभासिनि एक विदुषी लड़की थी| वह संस्कृत और हिंदी में M.A. थी | वह सुंदरता, शिक्षा, संस्कार, विनम्रता से परिपूर्ण थी| भारतीय संस्कृति की वह अद्भुत मिसाल थी |

कुछ दिनों दोनों एक साथ रहने के बाद डॉ विमल उच्च अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए | इंग्लैंड में पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टर विमल को इंग्लैंड के अच्छे अस्पताल में नौकरी भी मिल गई | विभासिनि अपनी पति की सफलता से फूली नहीं समाई | वह सपने संजोने लगी| उसे आने वाले तूफान की अहसास से जरा भी ना थी |

समय गुजरता गया | इसी बीच समय ने एक नया करवट लिया जिसका भनक सपनों में खोई विभासिनि को जरा भी नहीं थी| डॉ विमल को नौकरी के दौरान वही एक अंग्रेज लड़की एलिना से प्यार हो गया | डॉ विमल एलिना के प्यार में डूब कर धीरे-धीरे अपनी पत्नी विभासिनि और परिवार के अन्य लोगों को लोगों की खबर लेना भूल गया |

इधर विभासिनि को अपने पति का पत्र या फोन से संपर्क न होने के कारण बड़ी व्याकुलता होने लगी | वह अधीर हो उठी | फिर उसने इस विषय पर अपने डॉक्टर ससुर और परिवार के अन्य लोगों से विचार-विमर्श किया | अंततः उसने स्वयं इंग्लैंड जाकर अपनी पति से मिलने और उसके विषय में जानकारी हासिल करने का निर्णय किया |

विभासिनि की एक सहेली इंग्लैंड में रहती थी | उसके द्वारा वह सुन रखी थी कि वहां पर एक एशियन कॉलोनी तथा एक नौलखा राम मंदिर है | अपने परिवार की सहमति से वह अपनी सहेली के पास इंग्लैंड के लिए रवाना हो गई |

वहां पर उसकी सहेली ने उसकी काफी मदद की | कुछ ही दिनों मे काफी खोजबीन के बाद अपने पति का पता लगा लिया | विभासिनि को यह जानकर काफी गहरा चोट लगा कि, विमल का संबंध किसी अंग्रेज लड़की एलीना से हो गया है | फिर भी उसने अपने आप को संभाला और एलीना का पता लगाकर उससे मिलने का प्रयास किया |

एलिना से मिलकर उसने अपना परिचय एक विवाहित भारतीय महिला रूप के रूप में दिया | लेकिन उसने अपना नाम तथा भारत के घर के पता से अनभिज्ञ रखा | दोनों एक दूसरे से मिलकर खुश हुए और अच्छे दोस्त बन गए | एलीना विभासिनि के आचार विचार, भारतीय संस्कृति और भारत के रहन-सहन को जानकर पर ही बेहद आह्लादित हुई|

एलीना ने भी उससे कहा कि एक भारतीय डॉक्टर मेरे प्रेमी मित्र हैं | अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस से मिलवा सकती हूं | पर विभासिनि ने अनिच्छा जाहिर की |

विभासिनि तथा एलीना दोनों एक दूसरे से इतनी खुशी मिल गई कि वह अक्सर पार्क में, टेम्स नदी के किनारे, लिवरपूल पर घंटों बातें करती रहती | एक दिन विभासिनि अपने विवाह के समय मिले साड़ी और आभूषणों को पहन तथा माथे में सिंदूर बिंदी लगाकर, नई नवेली दुल्हन की तरह सज संवर कर एलीना से मिलने पहुंची |

एलिना उसके इस रूप सौंदर्य को देखकर ठगी सी रह गई | एलिना उसकी पोशाक के बारे में पूछें बिना रह न सकी| उसने पूछ दिया कि यह पोशाक तुमने कहां से खरीदा| तो विभासिनि ने बताया कि यह पोशाक मेरी शादी का जोड़ा है| मुझे शादी के वक्त मिला था | फिर विभासिनि वापस अपने निवास स्थान लौट गई|

इधर एलिना ने जब अपने प्रेमी विमल को विभासिनि के परिधान और उसके रूप सौंदर्य का वर्णन किया | यह सब सुनकर डॉ विमल को आभास हुआ हो ना हो वह लड़की विभासिनि ही है| डॉक्टर विमल कहा कि मुझे उससे नहीं मिलवाओगी | एलिना ने कहा जरूर, क्यों नहीं मिलवांगी | उसने अपने मित्र विभासिनि से मिलवाने के वादा कर लौट आई|

दूसरे दिन एलीना जब विभासिनि से मिली, तो उसने कहा कि आज मेरे भारतीय मित्र विमल तुमसे मिलना चाहते हैं | इसलिए वह आज यहां आने वाले हैं| पर विभासिनि ने कहा मैं चलती हूं | आज मैं वापस घर जा रही हूं | मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है | एलिना लगातार उसे रुको, ठहरो, उनसे मिल कर जाना, कहती रही | परंतु वह बिना एक पल गवाएं चल पड़ी |

थोड़ी देर बाद डॉ विमल वहां पहुंचे, परंतु काफी देर हो चुकी थी | विभासिनि वहां से जा चुकी थी | वे लोग उसके निवास स्थान पर गए तो पता चला कि वह एयरपोर्ट जा चुकी है | दोनों जल्दी से एयरपोर्ट पहुंचे| परंतु यहां भी पहुंचने में उन्हें देर हो गई | उसकी हवाई जहाज भारत के लिए उड़ान ले चुकी थी | डॉ विमल को विभासिनि से मुलाकात नहीं हो सकी | उनका अंतर्मन कराह उठा | दोनों काफी देर तक हवा में उड़ते जहाज को देखते रहे, जब तक कि आंखों से ओझल ना हो गई| विमल पश्चाताप करते हुए लौट आए |

इधर जब विभासिनि भारतीय एयरपोर्ट पहुंची, तो उसे लेने उसके माता-पिता और सास-ससुर पहले से पहुंचे थे| सभी की आंखें डॉक्टर विमल को ढूंढ रही थी | यह देख कर, विभासिनि ने बताया कि विमल अभी कुछ जरूरी काम में उलझे हैं| जिसके कारण वह नहीं आ पाए | अपने संस्कारों के कारण वह डॉ विमल तथा एलिना के संबंधों के बारे में कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई| वे लोग भी उसे बड़े आदर मान दे रहे थे| उसने सोचा वक्त आने पर सब बता देंगे | अभी सही वक्त नहीं है|

अगले दिन विभासिनि ने मायके जाने की इच्छा जाहिर की| तो सास ससुर ने स्वीकृति दे दी | दो दिनों के बाद उसका भाई आकर उसे लिवा ले गया | विभासिनि की उदासी उसकी मां की नजरों से छुपी ना रह सकी| तब मां ने उससे पूछ ही लिया कि, आखिर क्या बात है| बेटी इंग्लैंड से वापस अकेली क्यों लौट आई | कोई बात है तो मुझे बताओ, तुम्हारी उदासी हमें देखी नहीं जाती है| विभासिनि मां से लिपट फूट-फूट कर रो पड़ी | मां के सामने अपने को रोक ना पाई और विमल के रिश्ते के बारे में सब कुछ बता दिया | उसकी मां की आंखों के सामने अंधेरा छा गया | इतना बड़ा छल | पिताजी तो गुस्से में अनाप-शनाप बोलने लगे |

मां और विभासिनि ने पिताजी को संभाला, क्योंकि पिताजी दिल के मरीज थे | घर के माहौल ने तो मानो जैसे उदासीनता की चादर ओढ़ ली है | जहां विभासिनि की अच्छी शादी और विमल इंग्लैंड में नौकरी मिलने की खबर से घर में खुशियों का माहौल था | वहीं अब उदासी और मौन छाई थी | समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक आई इस विकट समस्या का समाधान कैसे हो पाएगा|

विभासिनि के दिल दिमाग में इन विचारों का यह द्वंद हमेशा रहता है कि क्या होगा उसके भविष्य का? आखिर काफी सोच-विचार के बाद विभासिनि ने फैसला लिया कि अब उसे अपने ढंग से जीवन जीना है | अपनी पहचान बनानी है | अपना भविष्य खुद बनाना है और हंसी-खुशी जीवन जीना है | इस उदासीन और मौन की चादर को उतार फेंकना है| अब वह अपना जीवन अकेले जीने की दृढ़ निश्चय कर चुकी थी|

विभासिनि वापस अपने सास-ससुर के पास लौट आई | अपने सास-ससुर के सेवा के साथ-साथ अपनी लगन और मेहनत के साथ नौकरी की तैयारी में जुट गई | वैसे भी विभासिनि प्रारंभ से ही काफी तेज और होनहार तो थी ही, साथ ही हिंदी और संस्कृत से एम ए की डिग्री भी प्राप्त की थी | जिसके कारण थोड़े ही मेहनत से जल्द ही सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हो गई| विभासिनि के परिवार वाले उसकी इस सफलता से काफी गौरवान्वित हुए | उसका स्वभाव बहुत ही कोमल और आत्मीय था| जिसके कारण थोड़े ही समय में वह काफी लोकप्रिय हो गई| उसने समाज के लिए भी बहुत सारे कार्य किए| सभी को शिक्षा के प्रति जागरूकता का कार्य की ताकि समाज में कोई उपेक्षित जीवन न जिए | समाज में लोगों को अपनी एक पहचान बनाने की प्रेरणा दी |

किसी भी व्यक्ति के जीवन में चाहे कितना भी कष्ट, दुख, तनाव, परेशानी आए, तो वक्त ही उस पर मरहम का काम करता है | समय के साथ व्यक्ति का हर दुख तनाव परेशानी धीरे-धीरे कम होते चला जाता है| जैसे भीषण गर्मी की तपिश वह लोग सावन की बारिश होते ही भूल जाते हैं |

साल दर साल गुजरते गए| विभासिनि डॉ विमल के छल को भूल चुकी थी | वह अपने कार्यों में पूर्णता व्यस्त हो गई और अपने जीवन को समाज सेवा में लगा कर संतुष्ट जीवन व्यतीत करने लगी |

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