रामायण से जुड़े 11 रहस्य जिनसे आप हैं अनजान/11 Secrets of Ramayana in Hindi

रामायण से जुड़े रहस्य , रामायण क्या है, रामायण कितने प्रकार के हैं, Secrets of Ramayana in Hindi

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रामायण क्या है

हिंदू धर्म में रामायण को एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है| रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की गाथा लिखी गई है| ब्रह्मा जी के आदेश पर महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्री राम की गाथा को श्लोकवद्ध किया | इन्हीं श्लोकवद्ध श्री राम की गाथा को बाल्मीकि रामायण कहा जाता है| वाल्मीकि रामायण को सबसे प्रमाणिक रामायण माना जाता है| महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि कहा जाता है|

रामायण कितने प्रकार के हैं

पूरी दुनिया में उपलब्ध रामायण को अगर हम भी देखें तो यह 300 से लेकर 1000 प्रकार के हैं. अलग-अलग देश में विभिन्न भाषा के रामायण उपलब्ध है| हिंदी में 11, बांग्ला में 25, तेलुगु में 12 तमिल में 12 मराठी में 8 उड़िया में 6 लिखी गई है| इसके अलावा मलयालम, असमिया, अरबी, उर्दू, फारसी, गुजराती, कन्नड़, इत्यादि भाषाओं में भी रामायण लिखी गई|

यहां तक कि विदेशों में भी रामायण प्रचलित है| तिब्बती रामायण, तुर्किस्तान की खेतानी रामायण, इंडोनेशिया की ककबिन रामायण जावा की सेरतराम, इंडोरचाइना की रामकीर्ति, थाईलैंड की रामकिएन बर्मा यूट्यूब यूतोकी रामयागन इत्यादि उपलब्ध है|

इनमें से हम कुछ भारत में प्रचलित कुछ मुख्य रामायण की चर्चा करेंगे-

अध्यात्म रामायण

कहा जाता है कि भगवान श्री राम की कथा श्री शंकर भगवान ने माता पार्वती जी को सुनाया था| जब भगवान शंकर कथा सुना रहे थे, तो पास के घोसला में बैठा एक कागा भी उस कथा को सुन रहा था| कथा सुनते सुनते माता पार्वती को नींद आ गई परंतु उस कागा ने पूरी कथा सुनी| उस कागा का पुनर्जन्म काग भुसुंडि के रूप में हुआ| काग भुसुंडि में पुनः इस कथा को गरुड़ जी को सुनाया| भगवान शंकर के द्वारा सुनाया गया, श्री राम की यह पवित्र कथा को अध्यात्म रामायण के नाम से जाना जाता है |अध्यात्म रामायण को सबसे प्राचीन रामायण माना जाता है|

बाल्मीकि रामायण

महर्षि वाल्मीकि के द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया बाल्मीकि रामायण एक अनुपम महाकाव्य है| भगवान ब्रह्मा के आदेश पर महर्षि वाल्मीकि ने इस महाकाव्य में पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की गाथा को श्लोकवद्ध किया है | इस रामायण में 7 अध्याय हैं| जिसे कांड के नाम से जाना जाता है| इसमें 500 उपखंड तथा 24000 श्लोक है|

राम चरित्र मानस

बाल्मीकि रामायण के संस्कृत में लिखे होने के कारण इसकी पहुंच जनमानस में बहुत ही कम था| भाषा की इस समस्या को देखते हुए महा ज्ञानी संत श्री तुलसीदास जी ने प्रभु श्री राम की पवित्र कथा को लोक भाषा अवधि में लिपिबद्ध किया| श्री तुलसीदास के द्वारा रचित इस रामायण को राम चरित्र मानस के नाम से जाना जाता है| राम चरित्र मानस बहुत ही लोकप्रिय हुआ|

कालांतर में अन्य कवियों के द्वारा विभिन्न भाषाओं में प्रभु श्री राम की कथा लिखी गई| जैसे तेलुगु में रंगनाथ रामायण, तेलुगु में ही कवित्री मोल्डा द्वारा रचित मोल्डा रामायण, उड़िया में रुईपादकातेणपदी रामायण,

अब हम बात करेंगे रामायण से जुड़े रहस्य के बारे में जिससे शायद आप अभी तक अनजान है|

रामायण से जुड़े रहस्य

अगर हम बात करें रामायण से जुड़े रहस्य का तो काफी सारी ऐसी रहस्य है जिससे हम अभी तक अनजान है| यहां पर उनमें से हम भी 11 रामायण से जुड़े रहस्य का चर्चा करेंगे

भगवान श्री राम की एक बहन भी थी

अभी तक आपने यही सुना या पड़ा है भगवान श्री राम चार भाई थे| परंतु आपने कम ही लोग को पता होगा श्री राम की एक बहन भी थी जिनका नाम शांता था| आयु में चारों भाइयों से बहुत बड़ी थी |

शांता राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थी| राजा दशरथ ने शांता को अंग देश के राजा रोमपद उनकी पत्नी वर्षिनी को कोई संतान ना होने के कारण दे दिया था| वर्षिनी महारानी कौशल्या की बहन थी| इस तरह से शांता का लालन-पालन उनकी मौसी वर्षिनी के द्वारा किया गया था| शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग के साथ हुआ था|

ऋषि ऋष्यश्रृंग के द्वारा राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्ठि करवाया था

राजा दशरथ को बहुत दिनों तक पुत्र नहीं हो रहे थे| अतः उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाया था| इस यज्ञ को उनके दामाद ऋषि ऋष्यश्रृंग ने ही संपन्न करवाया था|

गायत्री मंत्र रामायण का सार है

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित वाल्मीकि रामायण में 24000 श्लोक, 500 उपखंड तथा सात कांड है| इस रामायण के हर 1000वाँ श्लोक के पहला अक्षर से गायत्री मंत्र का निर्माण होता है| गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं जोकि रामायण के हर हजार में श्लोक के पहले अक्षर से बना है|

श्री राम के भाई किनके अवतार थे

यह सबको पता है कि श्री राम विष्णु के अवतार हैं| परंतु उनके भाई भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न किनके अवतार थे? लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे| भरत भगवान विष्णु के हाथों में धारण किए गए सुदर्शन चक्र के अवतार हैं | वही शत्रुघ्न भगवान विष्णु के हाथों में धारण किए गए शंख सेल के अवतार माने जाते है|

भगवान शिव के धनुष का नाम क्या था

जिस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर भगवान श्री कृष्ण ने माता सीता से विवाह किया था| भगवान शिव के इस धनुष का नाम पिनाक था | यह वही धनुष था जिसके एक तीर से भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर की तीनों नगरीयो धारा शाही किया था| इस धनुष टंकार से से बादल गरजने लगते थे तथा पर्वत हिलने लगते थे|

14 वर्षों तक लगातार होती रही उर्मिला तथा जागते रहे लक्ष्मण

ऐसा कहा जाता है कि पूरे 14 वर्ष की वनवास के दौरान लक्ष्मण भाभी और भैया की रक्षा करने के लिए कभी सोए नहीं| जब बनवास के पहली रात को भगवान श्री राम और माता सीता सो रहे थे | तबनिद्रा देवी लक्ष्मण के समक्ष प्रकट हुई| लक्ष्मण ने निद्रा देवी से प्रार्थना किया कि उन्हें 14 वर्ष तक नींद नहीं आए| ताकि वह अपने प्रिय भैया और भाभी की रक्षा कर सकें| निद्रा देवी उनकी यह विचार जानकर कहा कि अगर उनके बदले कोई और सोए, तब यह संभव हो सकता है| इसके बाद निद्रा देवी लक्ष्मण की आग्रह पर उनकी पत्नी उर्मिला के पास गई| उर्मिला सबकुछ जानकर 14 वर्षों तक सोने के लिए स्वीकार कर लिया| इस प्रकार लक्ष्मण 14 वर्षों तक जागते रहे और उर्मिला 14 वर्षों तक सोती रही|

रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक भी था

यह तो सबको पता है रावण एक विद्वान तथा चारों वेदों के ज्ञाता था| परंतु क्या आपको पता है कि रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक भी था | जिसके कारण उसके प्रत्येक ध्वज में वीणा का चित्र होता था | रावण को यह वाद्ययंत्र बजाना बहुत पसंद था| हालांकि अपनी इस विद्या को रावण ज्यादा महत्व नहीं देता था|

कुंभकरण के 6 महीने सोने का कारण क्या था

जैसा हम जानते हैं कि, कुंभकरण 6 महीने तक लगातार सोता था तथा 1 दिन खाने के लिए उठता था| दरअसल एक बार कुंभकरण के यज्ञ से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा प्रकट हो उसे वर मांगने को कहा| यह देख कर इंद्रदेव परेशान हो उठे| उन्होंने सोचा कहीं यह इंद्रासन ना मांग ले| इंद्रदेव ने माता सरस्वती से प्रार्थना करके कहा कि आप उसके जीवा पर बैठ जाए| फलस्वरूप कुंभकरण इंद्रासन के बदले निद्रासन मांग लिया|

श्री राम ने अपने प्रिय भाई लक्ष्मण को मृत्युदंड दिया

लंका विजय के बाद श्री राम अयोध्या पर राज करने लगे| उसी दौरान एक दिन यम देवता किसी विषय पर चर्चा करने के लिए श्री राम के पास आए| बातचीत प्रारंभ करने से पहले यम देवता ने श्रीराम से कहा कि जब तक हमारे बीच बातचीत होगी, यहां कोई नहीं आएगा, अगर कोई आया तो उसे आप को मृत्युदंड देना होगा| तब श्रीराम ने लक्ष्मण को द्वारपाल नियुक्त कर कहा, उनकी और यमदेव के बीच कुछ जरूरी बातचित हो रही है| कोई अंदर नहीं आ पाए |अगर कोई आया उसे मृत्युदंड दिया जाएगा|

थोड़ी देर बाद श्री राम से मिलने दुर्वासा ऋषि आ गए| लक्ष्मण ने उन्हें विनम्रतापूर्वक मिलने से मना किया| दुर्वासा ऋषि क्रोधित होकर पूरे अयोध्या को श्राप देने की बात कहीं| लक्ष्मण अयोध्या वासियों को बचाने के लिए अपना बलिदान देना उचित समझा| उन्होंने श्रीराम से जाकर दुर्वासा ऋषि के आने के बाद कहीं| यह देखकर सेवा आश्रम जिसके स्थिति में आ गए कि अपने भाई को मृत्युदंड कैसे दें|

इस दुविधा से निकलने के लिए उन्होंने अपने गुरु ऋषि वशिष्ठ से संपर्क किया| ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें कहा कि किसी प्रिय व्यक्ति का त्याग करना, उसके मृत्युदंड के समान ही है| श्री राम ने लक्ष्मण का त्याग करने का निर्णय किया|

यह जानकर लक्ष्मण ने कहा कि आप से दूर रहने से अच्छा है कि मैं मृत्यु को गले लगा लूं| फिर लक्ष्मण में जल समाधि ले लिया|

रावण की बहन शूर्पणखा भी रावण का सर्वनाश चाहती थी

लक्ष्मण के द्वारा रावण की बहन शूर्पणखा के नाक काट काटे जाने के कारण रावण ने माता सीता का हरण किया था| लेकिन यही शूर्पणखा रावण को श्राप दिया था कि उसका सर्वनाश हो जाए| सूर्पनखा का विवाह विद्युतजिव्ह के साथ हुआ था| विद्युतजिव्ह कालकेय नामक राजा का सेनापति था| जब रावण विश्व विजय अभियान के दौरान उसका युद्ध कालकेय के साथ हुआ| युद्ध के दौरान रावण ने कालकेय के सेनापति विद्युतजिव्ह का वध कर दिया| अपने पति के मृत्यु से दुखी होकर शूर्पणखा नहीं रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था|

33 करोड़ देवी देवता नहीं कुल 33 देवता

हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवता का अवधारणा है| परंतु रामायण में सिर्फ 33 देवता ही बताए गए हैं| रामायण के अरण्यकांड के 14 में सर्ग के 14 में श्लोक में सिर्फ 33 देवता के बारे में बताया गया है| इस पवित्र ग्रंथ के अनुसार 12 आदित्य, 8 वसु, 11 रूद्र और दो अश्विनी कुमार है|

FAQ

गिद्ध जटायु किसके पुत्र है?

जटायु ने सीता हरण के समय रावण का मार्ग रोकने का प्रयास किया था| जटायु सूर्य देव के सारथी अरुण के पुत्र हैं|

समुद्र पर पुल बनाने में कितने दिनों का समय लगा था?

समुद्र में पुल बनाने में कुल 5 दिनों का समय लगा था| पहला दिन 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 सयोजन तथा पांचवें दिन 23 योजन पूल बनाया गया था| कुल सौ योजन का पुल बनाया गया था| जिसकी चौड़ाई 10 योजन थी| एक योजन में 13 से 16 किलो मीटर होती है|

जिस वन में श्री राम लक्ष्मण और सीता ने ज्यादातर समय व्यतीत किया था, उसका नाम क्या है?

उस वन का नाम दंडकारण्य है| यह वन लगभग 35600 वर्ग मील में फैला था| इसमें वर्तमान छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश के हिस्से शामिल है|

आशा है रामायण से जुड़े रहस्य के बारे में जानकारी अच्छी लगी होगी|

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