उनाकोटी का रहस्य-99 लाख 99 हजार 999 प्रतिमाओं का स्थान: Secret of Unakoti in Hindi

उनाकोटी का रहस्य, 99 लाख 99 हजार 999 प्रतिमाओं का स्थान, एक करोड़ मूर्तियों का गांव, उनाकोटी में लाखों रहस्यमय मूर्तियो का राज, उनाकोटी कहां है, Unakoti caves, Secret of Unakoti in Hindi.

भारत एक विशाल तथा प्राचीन देश है| भारत के प्राचीन संस्कृति और सभ्यता बहुत ही उन्नत रहा है| यह एक विविधताओं का देश है| भारतवर्ष में तरह-तरह के रहस्यमय जगहें मौजूद है । कई सारे रहस्य अभी भी शोधकर्ताओं के एक अबूझ पहेली सा है| इस लेख के माध्यम से आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक रहस्यमय जगह उनाकोटी के बारे में| उनाकोटी जहां पर 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियां है| अर्थात एक कम एक करोड़ मूर्तियां|

अब प्रश्न यह है कि इतनी सारी मूर्तियां किसने बनाई, कब बनाई गई तथा इसे बनाने का क्या कारण रहा है| सबसे बड़ा प्रश्न यह है की इसकी गिनती एक करोड़ में सिर्फ एक ही कम क्यों है?

Unakoti
Unakoti

उनाकोटी का अर्थ क्या है?

कोटि का अर्थ होता है करोड़| जिस तरह से चालीस तथा तीस के पहले उन लगाने से क्रमश: उनचालीस तथा उनतीस हो जाता है| जो कि 40 और 39 से एक कम होता है| उसी प्रकार कोटी से पहले उन लगाने से उनाकोटी हो जाता है| जो की संख्या में एक करोड़ से एक कम होता है| इस प्रकार यहां पर मूर्तियों की संख्या एक करोड़ से एक कम होने के कारण इस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा|

उनाकोटी कहां है

इस स्थान के बारे में बहुत सालों तक लोगों को पता नहीं था| हालांकि अभी भी बहुत कम लोगों को इस जगह के बारे में पता है| आइए अब हम जानते है कि यह जगह भारत के किस भाग में है|

उनाकोटी भारत के पूर्वोत्तर भाग के त्रिपुरा राज्य में है| यह स्थान त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से लगभग 178 किलोमीटर दूर उनाकोटी जिले में है| उनाकोटी का जिला मुख्यालय कैलाश शहर है| यह स्थान कैलाश शहर से 8 किलोमीटर दूर है| यह स्थान दूर दूर फैले जंगल, कल कल बहती नदियों तथा उबर खाबर संकीर्ण पगडंडियों के बीच यह जगह अवस्थित है| दूर-दूर तक घने जंगल तथा दलदली इलाके के बीच पत्थरों पर उकेरी गई शैलचित्र तथा पत्थर की मूर्तियों का विशाल संग्रह एक अद्भुत रहस्य है|

उनाकोटी का रहस्य क्या है

इस जंगल के आसपास कोई बस्ती भी नहीं है| दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं है| एक पहाड़ी क्षेत्र है| दूर-दूर तक घने जंगल फैले हुए हैं| साथ ही इस क्षेत्र में दलदली इलाके भी हैं| फिर इन जंगलों के बीच इतनी सारी मूर्तियों का निर्माण कैसे हुआ? किस प्रकार एक कम एक करोड़ मूर्तियों का निर्माण संभव हो पाया| यह सारी बातें शोधकर्ताओं के लिए लंबे समय से एक शोध का विषय बना हुआ है| परंतु अभी तक कोई प्रमाणिक परिणाम निकलकर नहीं आ पाया है| उनाकोटी का रहस्य अभी भी बरकरार है| इसके निर्माण से संबंधित कुछ दिलचस्प पौराणिक कथाएं प्रचलित है|

उनाकोटी से जुड़ी पौराणिक कथा

शोधकर्ताओं तथा स्थानीय लोगों के अनुसार उनाकोटी का रहस्य से जुड़े पौराणिक कथाएं इस प्रकार हैं

पहली पौराणिक कथा

कहा जाता है कि कालू नाम का एक शिल्पकार था| कालू भगवान शिव का परम भक्त था| अपनी भक्ति से वह भगवान शिव और माता पार्वती को खुश कर उनके साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था| किंतु पृथ्वी लोक से किसी भी मनुष्य के लिए यह संभव नहीं होने के कारण भगवान शिव ने उसे मना कर दिया| परंतु कालू अपनी जिद पर अड़ा रहा| कालू के ज़िद देखते हुए भगवान शिव ने एक कठिन शर्त रखा| शर्त के अनुसार एक रात में एक करोड़ (एक कोटी) मूर्तियों का निर्माण करने पर, वह भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर जा सकता है|

यह बात सुनकर शिल्पकार कालू जी जान से अपने कार्य में लग गया| उसने पूरी लगन और मेहनत से पूरी रात मूर्तियों का निर्माण करता रहा| परंतु सुबह होने के बाद गिनती करने पर मूर्तियों की संख्या एक कम पाया गया| अर्थात वह 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां ही बना पाया| शर्त के अनुसार शिल्पकार कालू भगवान शिव और पार्वती के साथ कैलाश पर्वत के नहीं जा पाया| इस संख्या ( एक कोटी (करोड़) में एक कम) के कारण ही इस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा|

दूसरी पौराणिक कथा

दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार भगवान भोले शंकर समेत एक करोड़ देवी देवता काशी जा रहे थे| चलते-चलते रात होने के कारण सभी देवी देवताओं में भगवान शिव से उस स्थान पर रुक कर विश्राम करने की प्रार्थना की| भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली तथा उन्होंने कहा कि सूर्योदय होने से पहले इस स्थान से प्रस्थान कर जाना होगा|

अगले दिन सूर्योदय होने से पहले केवल भगवान शिव ही जग पाय| अन्य सभी देवी देवता सूर्योदय होने के बाद भी सोते रहे| यह सब देखकर भगवान शिव क्रोधित होकर सभी देवी देवताओं श्राप देकर पत्थर की मूर्ति बना दिया| यही कारण है कि यहां पर मूर्तियों की संख्या 99 लाख 99 हजार 999 है|

उनाकोटी में किस प्रकार की मूर्तियां है

अगर हम उनाकोटी में स्थित मूर्तियों के प्रकार के बात करें, तो यह मुख्यत: दो प्रकार की मूर्तियां यहां पर मिलती है-

  1. पत्थरों पर उकेरी गई मूर्तियां
  2. पत्थरों को काटकर बनाई मूर्तियां
उनाकोटी

यहाँ पर बनाई गई मूर्तियों में ज्यादातर हिंदू धर्म से ही जुड़ी हुई मूर्तियां है| इन मूर्तियों में भगवान शिव, भगवान विष्णु, गणेश भगवान, माता दुर्गा इत्यादि की मूर्तियां है| यहां पर भगवान शिव की 33 फीट की विशाल मूर्ति बनी हुई| जिन्हें भगवान उनाकोटेश्वर काल भैरव के नाम से जाना जाता है|

यहां पर भगवान गणेश की एक अद्भुत मूर्ति लोगो को आकर्षित करती है| भगवान गणेश की एक अन्य मूर्ति में 4 दांत और आठ भुजाओं को दिखाया गया है जो कि एक दुर्लभ प्रकार का मूर्ति है| इतनी सारी मूर्तियां एक साथ एक जगह पर लोगों के मन को काफी रोमांचित करता है| धीरे धीरे यह स्थान एक दर्शनीय स्थल बनता जा रहा है| दूर-दूर से लोग इस स्थान को देखने के लिए आते हैं|

उनाकोटी का वार्षिक त्यौहार

उनाकोटी के आसपास के रहने वाले लोग यहां आकर इन प्रतिमाओं का पूजा अर्चना करते हैं|

अशोकाष्टमी महोत्सव – हर वर्ष अप्रैल के महीने में एक वार्षिक महोत्सव का आयोजन धूमधाम के साथ किया जाता है, जिसे अशोकाष्टमी कहा जाता है| इस मेले के दौरान यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु जमा होते है तथा इन विश्व प्रसिद्ध प्रतिमाओं का पूजा अर्चना करते हैं| जनवरी के महीने में भी एक अन्य त्यौहार का भी आयोजन किया जाता है|

धीरे-धीरे या स्थान एक पर्यटन स्थल बन चुका है| इन अद्भुत मूर्तियों को देखने के लिए काफी संख्या में देश विदेश से पर्यटक आने लगे हैं|

उनाकोटी कैसे जाएं

उनाकोटी भारत के पूर्वोत्तर के त्रिपुरा राज्य के राजधानी अगरतला से लगभग 178 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यहां पहुंचने के लिए आप निम्न साधनों का उपयोग कर सकते हैं|

  1. हवाई मार्ग द्वारा- उनाकोटी का निकटतम हवाई अड्डा अगरतला का महाराज बीर बिक्रम एयरपोर्ट है| यह उनाकोटी से 173 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| अगरतला से उनाकोटी बस, कार तथा प्राइवेट टैक्सी से जाया जा सकता है|
  2. रेल मार्ग द्वारा– अगरतला रेलवे स्टेशन भारत के सभी मुख्य बड़े स्टेशनों से सीधी तौर से कनेक्टेड है| अगर आपको अगरतला के लिए डायरेक्ट ट्रेन नहीं मिलता है| तो आप गुवाहाटी आकर, गुवाहाटी से अगरतला आ सकते हैं| अगरतला से बस या प्राइवेट टैक्सी के द्वारा उनाकोटी जा सकते हैं| वैसे उनाकोटी का निकटतम रेलवे स्टेशन कुमार घाट है| कुमार घाट से उनाकोटी लगभग 28 किलोमीटर दूर है|
  3. सड़क मार्ग द्वारा– उनाकोटी नेशनल हाईवे 8 तथा 108 से जुड़ा हुआ है| आप अपना कार या प्राइवेट टैक्सी लेकर सड़क मार्ग के द्वारा उनाकोटी पहुंच सकते हैं| परंतु यहां पर पहाड़ी, जंगल, घाटी तथा घुमावदार रास्ते है| अतः इन रास्तों पर सावधानीपूर्वक गाड़ी चलाना पड़ता है|

उनाकोटी में कहां रुके

यहां पर रुकने के लिए कोई भी होटल नहीं है| आपको रुकने के लिए अगरतला या कैलाश शहर में होटल, लॉज या रिसॉर्ट लेना पड़ेगा| कैलाश शहर में उनाकोटी टूरिस्ट लॉज तथा जूरी टूरिस्ट लॉज में आप रुक सकते हैं| मेरी सलाह के अनुसार अगरतला में अपने बजट के हिसाब से होटल ले सकते हैं| यहां से आप अगरतला तथा उसके आसपास के अन्य जगहों को भी घूम सकते है|

उनाकोटी कब जाएं

उनाकोटी की प्रतिमाएं प्रकृति के बीच बनाई गई है| लोग वहां जाकर प्रतिमाओं के साथ-साथ आसपास के प्रकृति का भी नयनाभिराम करते हैं| वर्षा ऋतु के पहली बारिश के बाद वहां की प्रकृति तथा प्रतिमाएं जीवंत हो उठती है| अतः उनाकोटी जाने का सही समय जुलाई से फरवरी है| इस दौरान प्रकृति तथा इन प्रतिमाओं का रौनक देखते बनता है|

इस लेख के माध्यम से आपने उनाकोटी का रहस्य के बारे में जाना| अगर आप इस नए और आकर्षक जगह को देखने को उत्सुक हैं तो उनाकोटी जरूर जाए|

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